- उर्वशी रौतेला 12.25 करोड़ रुपये में रोल्स-रॉयस कलिनन ब्लैक बैज खरीदने वाली पहली आउटसाइडर इंडियन एक्ट्रेस बन गई हैं।
- Urvashi Rautela becomes the first-ever outsider Indian actress to buy Rolls-Royce Cullinan Black Badge worth 12.25 crores!
- 'मेरे हसबैंड की बीवी' सिनेमाघरों में आ चुकी है, लोगों को पसंद आ रहा है ये लव सर्कल
- Mere Husband Ki Biwi Opens Up To Great Word Of Mouth Upon Release, Receives Rave Reviews From Audiences and Critics
- Jannat Zubair to Kriti Sanon: Actresses who are also entrepreneurs
पहली बार कैमरा फेस किया तो रोने लगी थी: आयशा

इंदौर. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे बचपन से ही अभिनय करना का मौका मिला. लेकिन हकीकत तो यह है इस अभिनय के क्षेत्र में काफी स्ट्रगल है. इस क्षेत्र में पेशेंस बहुत जरूरी है क्योंकि कई बार स्ट्रगल लंबा होता है. एक सीरियल मिल जाने के बाद भी कई बार काम नहीं मिलता है. इसलिए आज एक एक्टर को आलराउंडर होना चाहिए. उसके पास अभिनय के साथ दूसरी स्किल भी होना चाहिए.
यह कहना है अभिनेत्री आयशा कडूस्कर का. वे शुक्रवार को इंदौर में अपने परिवार से मिलने आई थी. इस दौरान उन्होंने मीडिया से चर्चा भी की. चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अभी है सोनी टीवी का धारावाहिक ये उन दिनों की बात है कर रही हूं. इसमें 90 के दशक का प्यार दिखाया गया है जब न मोबाइल था न मैसेज. खतों के जरिए और कभी-कभार फोन से बात होती थी. साथ ही इसमें बहनों का बांड भी दिखाया गया है. मैं मुख्य किरदार की छोटी बहन प्रीति का किरदार निभा रही हूं. 90 के दशक के रिश्तों के बारे में मैंने केवल सुना था अब उसे अनुभव भी कर रही हूं. बहुत मजा आ रहा है. पहले की प्यार इजहार करने का तरीका अलग था. प्यार शुरू होने में ही समय लग जाता था इसलिए वह लंबा भी चलता था. खत पढऩे में भी प्यार का एहसास होता था. मैं भी इस धारावाहिके से रिलेशन को महत्व देना सीख रही हंू. वरना आज तो रिश्ते शुरू भी जल्दी होते हैं और खत्म भी.
सीधे शूटिंग के लिए बुलाया
आयशा ने बताया कि मैं मुंबई में पली-बढ़ी हुई है लेकिन मेरे मामा-पापा इंदौर से ही है. वे काम के सिलसिले में मुंबई शिफ्ट हो गए थे. मेरी मम्मी का बुटिक था तो वे कपड़े डिजायन करती थी. वहां एक्टर्स के कपड़े डिजाइन होने भी आते थे. जब मैं सात साल की थी तब बूटिक पर किसी ने मुझे देखा था. एक दिन मम्मी के पास काल आया था कि बेटी को लेकर आ जाओ. हमें लगा ऑडिशन होगा तो मैं मम्मी के साथ चली गई. थोड़ा आत्मविश्वास इसलिए था कि मैं स्कूल में नाटक और अन्य गतिविधियों में भाग लेती थी. जब हम वहां पहुंचे तो सीधे ही शॉट देने के लिए कहा गया. हमें यकीन ही नहीं था कि ऑडिशन के बजाय सीधे काम देने के लिए बुलाया है. इस तरह 7 साल की उम्र से ही मैं एक्टिंग कर रही हूं.
पहली बार रोने लगी थी
आयशा ने बताया कि जब मैंने पहली बार कैमरा फेस किया तो रोने लगी थी. फिर मम्मी ने सिखाया कि जिस तरह घर पर पापा के साथ बात करती हो ठीक उसी तरह यहां भी बात करो. मैंने उसी तरह काम किया और फिर कभी लगा ही नहीं कि एक्टिंग कर रही हूं. मुझे लगातार काम मिलता रहा और मैं स्वभाविक रूप से मैं एक्टिंक करना सीख गई. मैंने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया जिता भी सीखा देखकर और बात करके सीखा. सीनियर्स से काफी गुर सीखे.
यूनिवर्सिटी में किया टॉप
आयशा ने बताया कि भले ही मैं 14 साल से काम कर रही हूं लेकिन मम्मी ने यह कभी फोर्स नहीं किया कि एक्टिंग ही करो. उन्होंने मुझे सिखाया पढ़ाई भी जरूरी है पहले वह पूरी करो. इसलिए मैं सेट पर भी किताबें लेकर जाती थी. मैंने एक्टिंग और पढ़ाई में बैलेंस बनाकर रखा. ग्रेजुएन में मैंने यूनिवर्सिटी में टॉप किया है. मैंने सायकोलॉजी से बीए किया है क्योंकि यह मेरा रूचि का विषय है. इससे लोगों के बारे में जानने को भी मिलता है. पढ़ाई पर फोकस करने के कारण ही मैंने कभी लीड नहीं किए. आयशा ने बताया कि अभी मैं पोस्ट ग्रेजुएशन एमए इंग्लिश लिटरेचर से कर रही हूं. उसके बाद फिल्मों के लिए भी कोशिश करूंगी. इसके अलावा में लेखन भी करना चाहती है यही वजह से इंग्लिश लिटेरचर कर रही हूं. मुझे किताबें पढऩे का भी शौक है. अभी तक बहुत सी किताबें पढ़ चुकी हूं और उसी से मुझे लिखने की प्रेरणा मिली.